UP Panchamrut Yojana: यूपी पंचामृत योजना क्या है? लाभ एवं पात्रता, आवेदन प्रक्रिया

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Reported by Atul Sharma

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UP Panchamrut Yojana की शुरुवात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने गन्ने की उपज बढ़ने के लिए की है। इस योजना के द्वारा किसानो को खेतीबाड़ी की पांच विधियों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की जाएगी। जिससे किसान कम लागत में अधिक उत्पादन करने में सक्षम होंगे। इससे गन्ना किसानो की आय को दोगुनी करने का लक्ष्य भी हासिल किया जा सकेगा।

इस योजना द्वारा प्रदेश के गन्ना किसानों को खेती की 5 विधियों के विषय में बताया जायेगा। जिससे गन्ना किसान अपने उत्पादन में वृद्धि के साथ अच्छी आय भी प्राप्त करने में सफल होंगे। UP Panchamrut Yojana किसानों के लिए संजीवनी के रूप में कार्य करेगी। नयी तकनीकी का उपयोग करके गन्ना किसानों की उपज बढाने हेतु गन्ना विभाग ने पंचामृत योजना की घोषणा की। इसमें गन्ना बुआई की 5 आधुनिक तरीके ट्रेंच, पेड़ी प्रबंधन, ड्रिप इरीगेशन, मल्चिंग और सहफसल शामिल है। इसलिए इसका नाम पंचामृत योजना दिया गया है।

UP Panchamrut Yojana

उत्तर प्रदेश पंचामृत योजना (UP Panchamrut Yojana) से किसानों को लाभ

पंचामृत योजना की प्रत्येक विधि अनेक प्रकार से लाभदायक है। ड्रिप इरीगेशन से पानी की खपत 50 से 60 फीसद कम हो जाएगी।जरूरत के अनुसार नमीं बरकरार रहने से पौधों अच्छी वृद्धि होती है। इस योजना द्वारा पत्तियों को मल्चिंग के काम में प्रयोग किया जायेगा। जिससे इनको जलाने और इससे होने वाले प्रदूषण की समस्या हल हो जाएगी। बाद में यही पत्तियां सड़कर प्राकृतिक खाद के रूप में खेत की उर्वरा क्षमता में वृद्धि करेगी। गन्ने के साथ किसान गन्ने की दो लाइनों के बीच खेती भी कर सकते हैं। जैसे आलू, गोभी, धनिया, मटर, लहसुन, टमाटर और गेंहू आदि। इस तरीके से बेहतर उत्पादन लेने वाले कुछ किसानों को विभाग द्वारा सम्मानित भी किया जायेगा।

गन्ना किसानों की संख्या को देखते हुए गन्ने की खेती की लागत को कम करना है। समय से गन्ना मूल्य भुगतान भी जरूरी है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इंटरक्रापिंग के रूप में अगर दलहन की फसल लेते हैं, तो नाइट्रोजन फिक्सेशन के साथ प्रोट्रीन का अतिरिक्त श्रोत मिल जाता है।

UP Panchamrut Yojana (पंचामृत योजना) क्या है

गन्ने की खेती में नयी तकनीकी का उपयोग करके गन्ना किसानों की उपज बढ़ाना है।इसके लिए गन्ना विभाग ने पंचामृत नामक नयी योजना की घोषणा की है। इसमें गन्ना बुआई की 5 आधुनिक तरीके ट्रेंच, पेड़ी प्रबंधन, ड्रिप इरीगेशन, मल्चिंग और सहफसल शामिल है। इसलिए इस योजना को पंचामृत योजना (UP Panchamrut Yojana) नाम दिया गया है। आइये हम इन पाँचों तकनीकी के बारे में जानते हैं।

ट्रेंच विधि क्या है

इस विधि से गन्ने की बुआई करने पर सामान्य विधि के मुकाबले लगभग 40 प्रतिशत अधिक उपज प्राप्त होगी। इस विधि से बुआई शरद, वसन्त व देर वसन्त में सफलतापूर्वक की जा सकती है। खेत में ट्रेंच ओपनर से एक फीट चौड़ी और लगभग 25-30 सें.मी. गहरी क्यारी बनाते हैं। एक क्यारी से दूसरी क्यारी के बीच की दूरी 120 सें.मी होती है। क्यारी बनाने के बाद सबसे नीचे खाद डालते हैं। एक हैक्टर खेत में 180 Kg नाइट्रोजन, 80 Kg फॉस्फोरस, 60 Kg पोटाश और 25 Kg जिंक सल्फेट पर्याप्त होती है। इसमें बुआई के समय नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा का प्रयोग करते हैं। बाकी फॉस्फोरस, पोटाश और जिंक सल्फेट डालकर बुआई करते हैं।

ट्रेंच विधि में बीज उपचार, बीज की मात्रा, गन्ना बुआई के तरीके के बारे में जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा इसमें भूमि उपचार, गन्ना जमाव तथा सिंचाई के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।

पेड़ी प्रबंधन क्या है

एक बार बोये गए गन्ने को काट लेने के बाद उसी से दूसरी फसल लेना पेड़ी या मोढ़ी कहलाता है। गन्ने की पेड़ी फसल से पौधा की तुलना में कम लागत से भी अच्छी पैदावार ली जा सकती है। गन्ने की पेड़ी फसल की उन्नत तकनीक अपनाकर नई फसल से दो गुना तक अधिक उपज ले सकते हैं। सर्दी में काटी गई पौधा फसल से ली जाने पेड़ी फसल का फुटाव कम आता है। इसलिए गन्ने की फरवरी-मार्च में ही काटी गई फसल की पेड़ी से अधिक पैदावार मिलती है। बीमारी ग्रस्त पौधों को निकालकर नष्ट करते रहें।

ड्रिप इरीगेशन (Drip Irrigation) क्या है?

ड्रिप इरीगेशन (Drip irrigation) को Trickle irrigation/Micro irrigation/Localized irrigation के नाम से भी जाना जाता है। यह सिंचाई की एक विशेष विधि है जिसमें पानी और खाद की बचत होती है। इस विधि में पानी को पौधों की जड़ों पर बूँद-बूंद करके पानी टपकाया जाता है। इस कार्य के लिए वाल्व, पाइप, नलियों तथा एमिटर का नेटवर्क लगाना पड़ता है। इसे ‘टपक सिंचाई’ या ‘बूँद-बूँद सिंचाई’ भी कहते हैं।

मल्चिंग क्या है

मल्चिंग व्यापक रूप से प्रचलित बागवानी तकनीक है जो ठीक से किए जाने पर पौधों के लिए फायदेमंद होती है। यह नमी को संरक्षित करने और मिट्टी की स्थिति में सुधार करने के लिए होती है।इसमें मिट्टी को गीली घास, जैसे छाल, लकड़ी के चिप्स, पत्ते और अन्य कार्बनिक पदार्थों से ढकने का कार्य है।

सहफसल (InterCropping) क्या है

इसमें गन्ने के साथ किसान गन्ने की दो लाइनों के बीच में अन्य खेती भी कर सकते हैं। जैसे आलू , गोभी, धनिया, मटर, लहसुन, टमाटर और गेंहू आदि। सहफसली खेती में मुख्यतः दो फसलें (मुख्य फसल एवं सहफसल) होती है। इन फसलों के चुनाव के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना अत्यन्त आवश्यक है। जैसे, दोनों फसलें एक ही जाति की न हो। दोनों फसलों का पोषक तत्व उपयोग करने का स्तर अलग-अलग हो।

पंचामृत योजना द्वारा गन्ना खेती के लिए प्लाट का आदर्श मॉडल

आदर्श मॉडल प्लाटों की स्थापना हेतु शरदकालीन बुआई का समय महत्वपूर्ण है। इस बुआई के अन्तर्गत प्रारम्भिक तौर पर प्रदेश में कुल 2028 कृषकों का चयन किया गया है।जिसके द्वरा गन्ना खेती के आदर्श मॉडल प्लाट का लक्ष्य निर्धारित किया जा रहा है। इस प्लाट का रकबा 0.5 हेक्टेयर होगा। ऐसे प्रदर्शनों का मकसद यह होता है कि क्षेत्र के बाकी किसान भी इसे देखें और अपनाएं। इसीलिए इस तरह के डिमांस्ट्रेशन प्रदेश के हर क्षेत्र में होंगे। UP Panchamrut Yojana के अन्तर्गत समन्वित पद्धतियों एवं विधियों के लिए जिलेवार अलग-अलग लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं।

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पंचामृत योजना हेतु पात्रता

वैसे तो सरकार ने पंचामृत योजना हेतु पात्रता अभी निर्धारित नहीं की है। UP Panchamrit Yojana का लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदक को उत्तर प्रदेश का नागरिक होना चाहिए। इसी के साथ उसे एक किसान होना चाहिए। आवेदक के पास अपनी जमीन होनी चाहिए। जैसे ही सरकार द्वारा पंचामृत योजना हेतु पात्रता की घोषणा की जाएगी। हम आप सभी को इस आर्टिकल के माध्यम से सूचित कर देंगे। ताकि इच्छुक किसान भाई इस योजना का लाभ प्राप्त कर सके।

UP Panchamrut Yojana के लिए आवेदन प्रक्रिया

आवेदन प्रक्रिया के सम्बन्ध में बताना है कि यूपी सरकार ने अभी सिर्फ योजना की घोषणा की है। इसमें यूपी पंचामृत योजना के उद्देश्य और लाभ के बारे में बताया है। यूपी सरकार ने UP Panchamrut Yojana आवेदन करने के लिए अभी आधिकारिक वेबसाइट लॉन्च नहीं की है। सरकार जैसे ही आवेदन करने के लिए Official Website लॉन्च करेगी इस आर्टिकल के माध्यम से सूचित कर देंगे। ताकि इच्छुक किसान भाई इस योजना का लाभ प्राप्त कर सके।

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